Gourav Vallabh




भारत के एक जिले के सरकारी स्कूल में सातवीं कक्षा में पढ़ता था। वह पढ़ाई में अच्छा छात्र था, लेकिन खेलकूद में उसका कोई खास रुझान नहीं था। एक दिन, स्कूल में एथलेटिक्स प्रतियोगिता हुई। गौरव ने 100 मीटर दौड़ में भाग लेने का फैसला किया, भले ही उसे पता था कि वह जीतने वाला नहीं है।

प्रतियोगिता के दिन, गौरव दौड़ने के लिए तैयार था। वह तनावग्रस्त था, लेकिन वह अपने सहपाठियों के समर्थन से आश्वस्त हो गया। जैसे ही रेस शुरू हुई, गौरव ने अपनी पूरी कोशिश की। हालाँकि वह पहले स्थान पर नहीं आया, लेकिन उसने अंततः रेस पूरी की और उसे अपनी उपलब्धि पर गर्व हुआ।

उस दिन के बाद, गौरव ने खेल में अपनी रुचि विकसित की। वह नियमित रूप से दौड़ने लगा और अन्य खेलों की भी कोशिश करने लगा। वह जल्द ही एक अच्छा धावक बन गया और उसने कई प्रतियोगिताएँ जीतीं।

गौरव की कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें कभी भी अपने सपनों को छोड़ना नहीं चाहिए, चाहे वे कितने भी छोटे क्यों न हों। हमें हमेशा अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखना चाहिए और खुद को चुनौती देते रहना चाहिए।

गौरव की तरह, हम सभी के पास छिपी हुई प्रतिभाएँ और क्षमताएँ होती हैं। हमें उन्हें खोजने और विकसित करने की कोशिश करनी चाहिए। कौन जानता है, हम अपने जीवन में क्या-क्या हासिल कर सकते हैं, अगर हम अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत करेंगे तो?

यहाँ गौरव की कहानी से कुछ सबक दिए गए हैं:

  • हमेशा अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत रखें, चाहे वे कितने भी छोटे क्यों न हों।
  • खुद पर विश्वास रखें और अपनी क्षमताओं को कभी कम मत आंकें।
  • अपने आप को चुनौती देते रहें और अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाएँ।
  • आपको समर्थन करने वालों को ढूंढें और उनकी सहायता लें।
  • कभी हार मत मानें, भले ही आपको असफलता का सामना करना पड़े।

तो आगे बढ़ें, अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में पहला कदम उठाएँ। आप कभी नहीं जानते कि आप क्या हासिल कर सकते हैं, अगर आप खुद पर विश्वास करते हैं और अपनी क्षमताओं का पता लगाते हैं।