Infosys के संस्थापक नारायण मूर्ति: सफलता की गाथा




"भारतीय आईटी उद्योग के पितामह" के रूप में जाने जाने वाले नारायण मूर्ति ने Infosys की स्थापना की, जो एक वैश्विक आईटी दिग्गज है। उनकी जीवन यात्रा प्रेरणा और दृढ़ संकल्प की एक असाधारण कहानी है।
नारायण मूर्ति का जन्म 1946 में मैसूर, भारत में एक मामूली परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। नौकरी की तलाश में वे मुंबई चले गए, जहां उन्हें पटेल इंजीनियरिंग में इंजीनियर के रूप में नियुक्त किया गया।

पटेल इंजीनियरिंग में कुछ वर्षों के कार्य अनुभव के बाद, मूर्ति को पेरिस स्थित सॉफ़्टवेयर कंपनी यूरोटेक में काम करने का अवसर मिला। फ्रांस में बिताए समय ने उनकी सोच को व्यापक किया और उन्होंने भारत में एक समान कंपनी शुरू करने की इच्छा जताई।

1981 में, मूर्ति और छह अन्य इंजीनियरों ने मिलकर Infosys की स्थापना की। शुरुआती दिनों में, कंपनी ने छोटे प्रोजेक्ट लिए और धीरे-धीरे अपनी प्रतिष्ठा बनाई। मूर्ति की दूरदर्शिता और कड़ी मेहनत ने Infosys को एक सफल उद्यम में बदलने में मदद की।

विश्वसनीयता और मूल्य पर जोर


Infosys की सफलता का एक प्रमुख कारक इसकी विश्वसनीयता और मूल्य पर जोर था। मूर्ति का मानना था कि गुणवत्ता सेवाओं को उचित मूल्य पर प्रदान करके कंपनी अपने ग्राहकों का विश्वास अर्जित कर सकती है। इस दृष्टिकोण ने ग्राहक वफादारी का निर्माण किया और Infosys को अपने प्रतिद्वंद्वियों से अलग किया।

मूर्ति ने कंपनी की संस्कृति में नैतिकता और अखंडता को भी बहुत महत्व दिया। उनका मानना था कि एक सफल व्यवसाय केवल लाभ कमाने से कहीं अधिक है; यह समाज में योगदान देने और नैतिक रूप से जिम्मेदार तरीके से कार्य करने के बारे में भी है।

वैश्विक स्तर पर विस्तार


1990 के दशक में, Infosys ने विदेशी बाजारों का पता लगाना शुरू किया और संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और एशिया में कार्यालय स्थापित किए। मूर्ति का मानना था कि वैश्विक स्तर पर विस्तार कंपनी को अधिक विकास के अवसर प्रदान करेगा।

वैश्विक स्तर पर Infosys का विस्तार बहुत सफल रहा। कंपनी ने प्रमुख बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए परियोजनाओं पर काम किया और अपनी प्रतिष्ठा को एक भरोसेमंद और सक्षम आईटी पार्टनर के रूप में स्थापित किया।

एक विरासत छोड़ना


2011 में, मूर्ति ने Infosys के सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया। हालाँकि, उन्होंने कंपनी के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में कार्य करना जारी रखा। उनकी विरासत भारतीय आईटी उद्योग और इससे परे में उनके अमिट योगदान की गवाही देती है।

मूर्ति को कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, जिनमें भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण भी शामिल है। उन्हें भारतीय आईटी उद्योग के पितामह के रूप में सम्मानित किया जाता है, और उनकी सफलता की कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी हुई है।

निष्कर्ष


नारायण मूर्ति एक सच्चे दृष्टिकोण के व्यक्ति थे, जिन्होंने भारतीय आईटी उद्योग के परिदृश्य को बदल दिया। Infosys की स्थापना और विकास के साथ उनका योगदान अतुलनीय है। उनकी विश्वसनीयता, मूल्य और नैतिकता पर जोर देने वाली विरासत भारतीय व्यापार में एक उदाहरण बनी हुई है।

मूर्ति की कहानी सिखाती है कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत किसी भी सपने को हासिल कर सकते हैं। यह एक ऐसी कहानी है जो हमें अपने स्वयं के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है और एक अंतर बनाने के लिए अपने जीवन का उपयोग करने के लिए प्रेरित करती है।