Infosys नारायण मूर्ति




नारायण मूर्ति भारतीय इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के अग्रणी व्यक्ति हैं और इंफोसिस के सह-संस्थापक हैं। वह एक प्रेरक व्यक्ति हैं जो अपने विनम्र शुरुआत से, उन्होंने भारतीय आईटी उद्योग को वैश्विक मानचित्र पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

नारायण मूर्ति के जीवन का प्रारंभिक भाग

नारायण मूर्ति का जन्म 20 अगस्त 1946 को कर्नाटक के शिराली में हुआ था। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और 1969 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इससे पहले, उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग, मैसूर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी।

इंफोसिस की स्थापना

स्नातक होने के बाद, मूर्ति पटनी कंप्यूटर सिस्टम्स में शामिल हो गए। 1981 में, उन्होंने छह अन्य सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के साथ मिलकर इंफोसिस की स्थापना की। कंपनी शुरू में सॉफ्टवेयर विकास और परामर्श सेवाएं प्रदान करती थी।

इंफोसिस की सफलता

मूर्ति के नेतृत्व में, इंफोसिस ने तेजी से विकास किया। कंपनी ने उच्च गुणवत्ता वाले सॉफ्टवेयर समाधान प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया और अपने ग्राहकों के साथ मजबूत संबंध बनाए। इंफोसिस जल्द ही भारतीय आईटी उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी बन गई, जिसने वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति स्थापित की।

मूर्ति का दर्शन

मूर्ति एक दृढ़ विश्वासी हैं कि नैतिकता और मूल्य किसी भी सफल संगठन की नींव हैं। उन्होंने हमेशा इंफोसिस में एक मजबूत नैतिक संस्कृति को बढ़ावा दिया है और मानते हैं कि व्यवसायों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए।

मूर्ति के योगदान

भारतीय आईटी उद्योग के विकास में मूर्ति का योगदान अमूल्य है। उनकी दृष्टि और नेतृत्व ने उद्योग को वैश्विक मानचित्र पर लाने में मदद की है। उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, जिनमें पद्म विभूषण और पद्म श्री शामिल हैं।

निष्कर्ष

नारायण मूर्ति भारतीय आईटी उद्योग के दिग्गज हैं। उनकी कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और नैतिक मूल्य भारतीय आईटी उद्योग के विकास में मार्गदर्शक शक्ति रहे हैं। उन्होंने न केवल एक सफल कंपनी बनाई है बल्कि कई युवा दिमागों को भी प्रेरित किया है।

एक प्रेरक कहानी

एक बार, मूर्ति एक सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने अपनी कहानी साझा की कि कैसे उन्होंने इंफोसिस की स्थापना की थी। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने पहली बार व्यवसाय शुरू किया था, तो उनके पास बहुत कम संसाधन थे। उन्होंने और उनके सहकर्मियों ने घंटों काम किया, अक्सर रात भर बिना सोए।

हालांकि, मूर्ति और उनकी टीम हार मानने वाले नहीं थे। वे अपनी दृष्टि में विश्वास करते थे और एक सफल कंपनी बनाने के लिए दृढ़ थे। उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प रंग लाया, और इंफोसिस अब एक वैश्विक आईटी प्रमुख बन गया है।

मूर्ति की कहानी कई युवा उद्यमियों के लिए प्रेरणा का एक स्रोत है। यह बताती है कि अथक प्रयास और समर्पण के साथ कुछ भी हासिल किया जा सकता है।