IPS अधिकारी नलिन प्रभाकर
हम सभी ने कभी न कभी कई कहानियाँ सुनी होंगी IPS अधिकारियों को लेकर। उनके साहस, बुद्धि और जनता की सेवा के जुनून के बारे में। लेकिन इन कहानियों में अक्सर उनकी निजी ज़िंदगी और इंसानियत का पहलू छिपा रह जाता है। आज हम आपको IPS अधिकारी नलिन प्रभाकर की एक ऐसी ही कहानी बताएँगे, जो आपको उनकी इंसानियत से रूबरू कराएगा।
नलिन प्रभाकर उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। उनका जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। बचपन से ही उनका सपना था कि वह एक पुलिस अधिकारी बनें और समाज की सेवा करें। उन्होंने अपनी पढ़ाई मेहनत और लगन से की और साल 2012 में भारतीय पुलिस सेवा में उनका चयन हो गया।
IPS अधिकारी बनने के बाद उनकी पहली पोस्टिंग मऊ जिले में हुई। वहाँ उन्होंने अपनी ज़िम्मेदारियों को बखूबी निभाया। जल्द ही वह अपने साहस और बुद्धि के लिए जाने जाने लगे। लेकिन उनकी असली इंसानियत तब सामने आई जब उन्हें जिले के एक गरीब परिवार के बारे में पता चला।
उस परिवार में एक बेटी थी जिसकी शादी कुछ साल पहले ही हुई थी। लेकिन शादी के कुछ महीनों बाद ही उसके पति की एक दुर्घटना में मौत हो गई। विधवा होने के बाद लड़की के सामने कई मुश्किलें आ गईं। उसका ससुराल उसे प्रताड़ित करने लगा। वह अपने मायके भी नहीं आ सकती थी क्योंकि उसके पिता की भी कुछ महीने पहले ही मौत हो चुकी थी।
नलिन प्रभाकर को जब इस लड़की के बारे में पता चला तो उन्होंने उसकी मदद करने का फैसला किया। वह लड़की के ससुराल गए और उसके ससुराल वालों को समझाया कि उसे प्रताड़ित करना गलत है। उन्होंने लड़की के लिए एक नौकरी भी दिलाई ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके।
नलिन प्रभाकर की मदद से लड़की को न्याय मिला और वह अपने जीवन में आगे बढ़ पाई। इस घटना ने नलिन प्रभाकर की इंसानियत को साबित किया। उन्होंने दिखाया कि एक IPS अधिकारी होने के साथ-साथ वह एक संवेदनशील इंसान भी हैं।
उनका कहना है कि, "एक IPS अधिकारी का काम केवल कानून को लागू करना ही नहीं है। बल्कि लोगों की मदद करना और उनकी ज़िंदगी में बदलाव लाना भी हमारा कर्तव्य है।" नलिन प्रभाकर की इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि इंसानियत किसी भी पेशे से बड़ी होती है।