MSME: छोटे पैमाने उद्योगों की जीवनरेखा




MSME क्या है?
MSME का मतलब माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज है। ये ऐसे उद्यम हैं जिनमें कर्मचारियों की संख्या कम होती है और उन्हीं के अनुसार ही इनका निवेश और टर्नओवर भी कम होता है। MSME हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं। ये 11 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार देते हैं और देश के GDP का लगभग 30% हिस्सा贡献 करते हैं। इनकी संख्या भी लगभग 6 करोड़ 30 लाख है जोकि सभी उद्योगों में सर्वाधिक है।
MSME के लिए सरकारी नीतियाँ
भारत सरकार MSME को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियाँ और योजनाएँ बनाती रही है। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
* प्रधानमंत्री मुद्रा योजना: यह योजना उन लोगों के लिए है जो छोटा सा उद्यम शुरू करना चाहते हैं। इसमें उन्हें बिना किसी गारंटी के लोन दिया जाता है।
* स्टैंड-अप इंडिया योजना: यह योजना खास तौर पर महिलाओं और अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों के लिए है। इसमें उन्हें 10 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता है।
* क्रेडिट गारंटी स्कीम: इस योजना के तहत MSME को लोन लेने के लिए सरकारी गारंटी दी जाती है। इससे बैंकों को लोन देने में हिचकिचाहट कम होती है।
MSME की चुनौतियाँ
MSME के सामने कई चुनौतियाँ भी हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
* वित्त की कमी: MSME को अक्सर वित्त की कमी का सामना करना पड़ता है। इसके लिए सरकारी योजनाओं के अलावा भी कई निजी वित्तीय संस्थान भी उन्हें लोन देते हैं।
* कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव: MSME कच्चे माल पर बहुत ज्यादा निर्भर होते हैं। कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से उनका मुनाफा घट जाता है।
* प्रतिस्पर्धा: बड़े उद्योगों से MSME को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। इसके लिए उन्हें अपने उत्पादों की गुणवत्ता और सेवाओं में सुधार करना पड़ता है।
MSME का भविष्य
MSME भारत की अर्थव्यवस्था का भविष्य हैं। सरकार द्वारा बनाई जा रही नीतियों और योजनाओं से इनकी स्थिति और बेहतर होने की उम्मीद है। अगर MSME को सही तरीके से बढ़ावा मिलेगा तो वे देश के विकास में और ज्यादा योगदान दे सकते हैं।