राकेश का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता एक किसान थे और उनकी माँ एक गृहिणी। बचपन से ही राकेश बहुत मेहनती और होनहार छात्र थे। वह हमेशा अपनी कक्षा में अव्वल आते थे और पढ़ाई में उनकी गहरी रुचि थी।
स्कूल के बाद राकेश ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने का फैसला किया। लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। ऐसे में राकेश ने अपनी पढ़ाई के लिए खुद ही काम करना शुरू किया। दिन में वह कॉलेज जाते थे और रात में एक होटल में वेटर का काम करते थे।
राकेश की मेहनत और लगन देखकर उनके प्रोफेसर बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने राकेश को कई तरह से मदद की और उन्हें स्कॉलरशिप भी दिलाई। राकेश ने भी अपने प्रोफेसरों को निराश नहीं किया। उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।
डिग्री हासिल करने के बाद राकेश को एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी मिल गई। लेकिन उनका सपना तो कुछ और ही था। वह अपना खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते थे। कुछ समय तक नौकरी करने के बाद उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपना खुद का स्टार्टअप शुरू किया।
राकेश का स्टार्टअप शुरुआत में बहुत अच्छा नहीं चला। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार मेहनत करते रहे। धीरे-धीरे उनका बिजनेस चल निकला और आज वह एक सफल उद्यमी हैं।
राकेश दौलताबाद की कहानी हमें यह सिखाती है कि यदि हमारे पास एक सपना है और हम उसके लिए दृढ़ संकल्प हैं, तो हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं। चाहे हमारे सामने कितनी भी बाधाएँ आएँ, हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए।
राकेश की कहानी से प्रेरणा लेकर हम भी अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल कर सकते हैं। तो चलिए आज ही अपने सपनों को साकार करने की दिशा में पहला कदम उठाते हैं।