भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 6 और 8 फरवरी को होने वाली है, और उम्मीद की जा रही है कि समिति रेपो रेट में कटौती की घोषणा करेगी।
रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक आरबीआई से पैसे उधार लेते हैं। अगर रेपो रेट में कटौती की जाती है, तो इसका सीधा असर बैंकों द्वारा उधारदाताओं को दिए जाने वाले लोन की दरों पर पड़ेगा।
पिछले कुछ महीनों में, मुद्रास्फीति के कम होने और अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण रेपो रेट में कटौती की मांग उठ रही है। RBI ने पिछले 10 महीनों से रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखा है।
अगर RBI रेपो रेट में कटौती करता है, तो इसका अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इससे उधार लेना सस्ता हो जाएगा, जिससे उपभोक्ता खर्च और निवेश में वृद्धि होगी
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि मुद्रास्फीति अभी भी ऊंची है और रेपो रेट में कटौती से और अधिक मुद्रास्फीति हो सकती है। उनका मानना है कि RBI को मुद्रास्फीति को नियंत्रण में लाने के लिए पहले अधिक इंतजार करना चाहिए।
RBI की MPC ने 6 फरवरी को अपनी बैठक शुरू की। उम्मीद है कि बैठक के नतीजों की घोषणा 8 फरवरी को की जाएगी।
अगर RBI रेपो रेट में कटौती करता है, तो इसका आम आदमी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इससे घर खरीदने, कार खरीदने और अन्य बड़ी खरीद के लिए लोन लेना सस्ता हो जाएगा।