Reliance Industry: एक छोटा परिचय




रेलियान्स इंडस्ट्रीज आज भारत की सबसे बड़ी निजी कंपनी है। धीरूभाई अम्बानी जी द्वारा स्थापित इस कंपनी में आज देश ही नहीं दुनियाभर में लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है। हालाँकि इस कंपनी का सफर इतना आसान नहीं था।
धीरूभाई अम्बानी ने इस कंपनी की स्थापना 1966 में किया था। उस समय कंपनी का नाम 'रिलायन्स टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज' था। धीरूभाई ने इस कंपनी की शुरुआत मात्र 15 लाख रूपये के साथ की थी। प्रारंभ में यह कंपनी पॉलिएस्टर यार्न और कपड़े बनाती थी।
Reliance के शेयरों को भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में पहली बार 1977 में लिस्ट किया गया था। उस समय कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन केवल 3 करोड़ रूपये था। हालाँकि, धीरूभाई अम्बानी के नेतृत्व में कंपनी ने तेजी से तरक्की की।
1985 में, Reliance ने पेट्रोकेमिकल उद्योग में कदम रखा। कंपनी ने गुजरात के हजीरा में एक पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स की स्थापना की। इस कदम के साथ, Reliance भारत की सबसे बड़ी पेट्रोकेमिकल कंपनी बन गई।
1990 के दशक में, Reliance ने दूरसंचार क्षेत्र में प्रवेश किया। कंपनी ने Reliance Infocomm की स्थापना की, जो आज भारत की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी है।
2002 में, धीरूभाई अम्बानी का निधन हो गया। उनके बाद उनके बेटे मुकेश अम्बानी और अनिल अम्बानी ने Reliance की कमान संभाली। मुकेश अम्बानी को Reliance के ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल व्यवसायों की जिम्मेदारी दी गई, जबकि अनिल अम्बानी को दूरसंचार, वित्तीय सेवाओं और बुनियादी ढांचे के व्यवसायों की जिम्मेदारी दी गई।
2005 में, Reliance को दो अलग-अलग कंपनियों में विभाजित किया गया: Reliance Industries और Reliance Communications। मुकेश अम्बानी ने Reliance Industries की कमान संभाली, जबकि अनिल अम्बानी ने Reliance Communications की कमान संभाली।
आज, Reliance Industries भारत की सबसे बड़ी निजी कंपनी है। कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 17 लाख करोड़ रूपये से अधिक है। कंपनी के पास पेट्रोकेमिकल, तेल और गैस, दूरसंचार और खुदरा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक हित हैं।
Reliance Industries ने न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है, बल्कि इसने लाखों लोगों के जीवन को भी बदल दिया है। कंपनी अपने कर्मचारियों को उच्च वेतन और लाभ प्रदान करने के लिए जानी जाती है। इसके अलावा, कंपनी कई सामाजिक जिम्मेदारी पहलों में भी शामिल है।