Sarfaraz Khan: एक वादा खुद से और खुद से ही निभाना




सरफराज खान, एक ऐसा नाम जिसने भारतीय क्रिकेट जगत में खलबली मचा रखी है। 26 साल के इस युवा बल्लेबाज ने अपनी असाधारण प्रतिभा और अटूट जुनून से सभी को प्रभावित किया है। लेकिन सरफराज का सफर आसान नहीं रहा है।
मुंबई के कुर्ला की तंग गलियों में पले-बढ़े सरफराज ने बचपन से ही क्रिकेट के प्रति लगाव विकसित कर लिया था। एक छोटी सी झुग्गी में रहने वाले सरफराज के लिए क्रिकेट केवल एक खेल नहीं था, बल्कि गरीबी और सामाजिक चुनौतियों से बचने का एक रास्ता था।
वह अक्सर स्थानीय मैदानों में सुबह-सुबह जाकर घंटों अभ्यास करते थे, चाहे गर्मी हो या सर्दी। उनके पिता, नौशाद खान, उनकी प्रतिभा के सच्चे समर्थक थे और अपने बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते थे।
2014 में, सरफराज को मुंबई अंडर-19 टीम में चुना गया। यह उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्होंने अपनी टीम के लिए लगातार रन बनाए और जल्द ही भारतीय अंडर-19 टीम का ध्यान अपनी ओर खींचा।
2016 में, सरफराज को भारत की अंडर-19 विश्व कप टीम के लिए चुना गया। उन्होंने टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया और अपने प्रदर्शन से सभी को चकित कर दिया। हालांकि भारत टूर्नामेंट जीतने में विफल रहा, लेकिन सरफराज का स्टार उभर चुका था।
इसके बाद सरफराज ने घरेलू क्रिकेट में रनों की बरसात की। उन्होंने लगातार शतक और दोहरे शतक जड़े, जिससे चयनकर्ताओं पर राष्ट्रीय टीम में उनकी जगह बनाने का दबाव बढ़ गया।
आखिरकार, 2023 में सरफराज को बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए भारतीय टीम में चुना गया। हालांकि उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला, लेकिन यह उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।
सरफराज का जुनून और दृढ़ संकल्प ही उन्हें इतनी ऊंचाइयों तक ले गया। वह उन लोगों की प्रेरणा हैं जो अपनी प्रतिभा और कड़ी मेहनत से भाग्य को बदलना चाहते हैं। उनका जीवन एक सबक है कि असफलताएं केवल अस्थायी होती हैं, लेकिन दृढ़ संकल्प और जुनून से सफलता जरूर मिलती है।