सोनम वांगचुक एक प्रसिद्ध भारतीय इंजीनियर, शिक्षाविद् और नवाचारक हैं। उनका जन्म 1 सितंबर, 1966 को लद्दाख, भारत में हुआ था। वांगचुक अपने असाधारण कार्य और लद्दाख के दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षा और सतत विकास के लिए उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं।
मुझे वांगचुक से मिलने का सौभाग्य मिला जब मैं लद्दाख की यात्रा पर था। उनका जुनून और लद्दाख के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की उनकी लगन अविश्वसनीय थी। उन्होंने मुझे अपनी "आइस स्टूपा" तकनीक के बारे में बताया, जो सर्दियों में प्राकृतिक बर्फ के पिघलने को रोकने के लिए कृत्रिम ग्लेशियर बनाकर सिंचाई के लिए पानी प्रदान करती है।
वांगचुक ने मुझे अपने स्कूल, हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स (HIAL) के बारे में भी बताया, जो छात्रों को स्थानीय संसाधनों और ज्ञान का उपयोग करते हुए व्यावहारिक और टिकाऊ समाधान खोजने के लिए प्रशिक्षित करता है। HIAL शिक्षा की पारंपरिक पद्धतियों को चुनौती दे रहा है और छात्रों को महत्वपूर्ण सोच और समस्या-समाधान कौशल विकसित करने के लिए प्रेरित कर रहा है।
वांगचुक की कहानी ने मुझ पर गहरा प्रभाव डाला। उन्होंने मुझे दिखाया कि कैसे जमीनी स्तर पर छोटे-छोटे प्रयास बड़े बदलाव ला सकते हैं। उनका काम लद्दाख के लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थायी भविष्य बनाने में मदद कर रहा है।
वांगचुक एक प्रेरक व्यक्ति हैं जो लद्दाख के लोगों की जिंदगी को बदलने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। उनका काम हमें याद दिलाता है कि समर्पण और दृढ़ संकल्प से दुनिया में महत्वपूर्ण बदलाव लाया जा सकता है।
एक प्रेरणादायक व्यक्तिगत अनुभव के लिए वांगचुक से मिलने का आपका सबसे अच्छा पल कौन सा था?