TDS क्या है और कैसे बचाया जाए




जीएसटी लागू होने के बाद टीडीएस को समझना बहुत जरूरी है। टीडीएस का मतलब टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स होता है। यानी जो पैसा आप कमाते हैं, उसमें से कुछ पैसे सरकार पहले ही घटा लेती है। यह टैक्स कटौती सीधे आपके खाते से होती है।
टीडीएस कब कटता है?
टीडीएस अलग-अलग तरह की इनकम पर कटता है। जैसे-
  • वेतन
  • किराया
  • ब्याज
  • कमीशन
  • प्रॉफेशनल फीस
टीडीएस का रेट क्या होता है?
टीडीएस का रेट अलग-अलग इनकम सोर्स के लिए अलग-अलग होता है। जैसे-
  • वेतन - 10%
  • किराया - 30%
  • ब्याज - 10%
  • कमीशन - 5%
  • प्रॉफेशनल फीस - 10%
टीडीएस कैसे बचाया जाए?
टीडीएस को पूरी तरह से बचाना तो संभव नहीं है, लेकिन कुछ तरीकों से आप टीडीएस कटने की रकम को कम कर सकते हैं। जैसे-
  • फॉर्म 15G या 15H जमा करें:
    अगर आपकी इनकम टैक्स छूट की सीमा से कम है, तो आप फॉर्म 15G या 15H जमा करके टीडीएस कटने से बच सकते हैं।
  • 80C के तहत निवेश करें:
    80C के तहत किए गए निवेश पर आपको टैक्स छूट मिलती है। इन निवेशों में पीपीएफ, एनपीएस, ईएलएसएस आदि शामिल हैं।
  • होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट का लाभ उठाएं:
    अगर आपने होम लोन लिया है, तो आप होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं। यह छूट 2 लाख रुपये तक के ब्याज पर मिलती है।
  • मेडिकल खर्चों का क्लेम करें:
    अगर आपने मेडिकल खर्चों पर ज्यादा खर्च किया है, तो आप इन खर्चों का क्लेम कर सकते हैं। यह क्लेम टीडीएस को कम करने में मदद कर सकता है।
टीडीएस से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें:
  • टीडीएस कटने पर आपको फॉर्म 16A मिलेगा।
  • टीडीएस डिपॉजिट करने की अंतिम तिथि 31 मई है।
  • अगर आपके टीडीएस की रकम ज्यादा कट गई है, तो आप रिफंड के लिए अप्लाई कर सकते हैं।
टीडीएस एक जटिल विषय है, लेकिन इसे समझना जरूरी है। अगर आपको टीडीएस से जुड़ा कोई सवाल है, तो आप किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स एक्सपर्ट से सलाह ले सकते हैं।