Vazhakku




Vazhakku, jyotirlingani ek nirmal aur pavitr Avatar, aaj Aapko Hum Jyotirling Ke Sabhi Namo Ke Bare Me Batane जा रहे Hai.

वाज्जाक या वाझ्जिनाथा, केरल के तृश्यर जिले में त्रिशूर शहर के पास इरिनजलकुडा में स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर अपने सुंदर वास्तुकला और विस्तृत वार्षिक उत्सव के लिए प्रसिद्ध है।

इस मंदिर की उत्पत्ति की सटीक तिथि अज्ञात है, लेकिन माना जाता है कि यह 10वीं शताब्दी में बनाया गया था। किंवदंती है कि इस क्षेत्र पर एक शक्तिशाली राक्षस, कंबासुरा का शासन था, जो ऐसा तांडव और अत्याचार करता था जिसने लोगों के जीवन को कष्टमय बना दिया था।

लोगों की पीड़ा को देखते हुए, भगवान शिव ने अपनी शक्ति से उस राक्षस को नष्ट कर दिया। राक्षस के मरने पर, उसकी राख से 12 ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए। इनमें से एक ज्योतिर्लिंग वाज्जाक में स्थापित है।

वाज्जाक मंदिर की विशेषताएँ:
  • मंदिर में ग्रेनाइट पत्थर से बनी एक विशाल और प्रभावशाली मूर्ति है, जो भगवान शिव को अर्धनारीश्वर के रूप में दर्शाती है।
  • मंदिर परिसर में कई मंदिर हैं, जिसमें एक भगवान कृष्ण, भगवान विष्णु और देवी दुर्गा को समर्पित है।
  • मंदिर की छत नक्काशीदार लकड़ी की पट्टियों से बनी है, जो इसे एक अनोखा और भव्य रूप देती है।
  • मंदिर में एक पवित्र कुंड है, जिसे वाज्जाककुन्नू कहा जाता है, जहाँ श्रद्धालु स्नान करते हैं और प्रार्थना करते हैं।
  • मंदिर वार्षिक वाज्जाककुन्नू महोत्सव के लिए प्रसिद्ध है, जो एक विशाल उत्सव है जो 28 दिनों तक चलता है और देवी दुर्गा की पूजा करता है।

वाज्जाक मंदिर एक पवित्र स्थल है जो आध्यात्मिकता, इतिहास और संस्कृति का संगम है। यह श्रद्धालुओं के लिए शांति और मोक्ष पाने के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।

अगर आप कभी केरल आते हैं, तो वाज्जाक मंदिर जरूर जाएँ। यह एक अद्भुत अनुभव होगा जिसकी यादें आपके मन में हमेशा रहेगी।