Vishwakarma Puja: आइए पूजा के दिन मनाएं कौशल और श्रम को




"विश्वकर्मा सरव लोहे पर चढ़े, जयति विक्रम बाजे, पूजा करत सब कोई, माटी का दिया जराए।
यह एक लोकप्रिय भजन है जो विश्वकर्मा पूजा के दिन गाया जाता है। यह हमारे जीवन में कौशल और श्रम के महत्व को दर्शाता है।
विश्वकर्मा पूजा भारत में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो देवताओं के वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है। यह हर साल भाद्रपद महीने के अंधेरे पखवाड़े के आखिरी दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है।
कौन थे भगवान विश्वकर्मा?
कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा के पुत्र और भगवान शिव के भाई हैं। उन्हें स्वर्ग का वास्तुकार माना जाता है, जिन्होंने इंद्रपुरी के साथ-साथ कई अन्य संरचनाओं का निर्माण किया है। वह सभी कारीगरों, शिल्पकारों और इंजीनियरों के संरक्षक देवता भी हैं।
विश्वकर्मा पूजा पर क्या मनाया जाता है?
विश्वकर्मा पूजा का त्योहार कौशल और श्रम को समर्पित है। इस दिन लोग अपने औजारों, मशीनों और वाहनों की पूजा करते हैं। वे भगवान विश्वकर्मा से अपने काम में सफलता और सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं।
त्योहार कैसे मनाया जाता है?
विश्वकर्मा पूजा की तैयारी कई दिन पहले शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों और कार्यस्थलों की साफ-सफाई करते हैं, रंग-बिरंगी रंगोली बनाते हैं और मंगल गीत गाते हैं।
पूजा के दिन, लोग सुबह जल्दी उठते हैं और स्नान करते हैं। फिर वे भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक, फूल और मिठाई चढ़ाते हैं। वे भगवान की पूजा करते हैं और अपने औजारों और मशीनों पर तिलक लगाते हैं।
पूजा के बाद, लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ भोजन और मिठाई बांटते हैं। कुछ लोग उत्सव मनाने के लिए नृत्य और संगीत का भी आयोजन करते हैं।
निष्कर्ष
विश्वकर्मा पूजा कौशल और श्रम के महत्व की याद दिलाती है। यह एक ऐसा त्योहार है जो हमें उन लोगों को सराहना करने और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है जो हमारे लिए चीजें बनाते हैं। आइए हम इस विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर कौशल और श्रम की भावना का जश्न मनाएं।