Yograj Singh




सहृदय, हाजिर-जवाब और अभिमानी पिता, "योजराज सिंह" नाम की प्रतिभाशाली शख्सियत ने अभिनय और क्रिकेट के क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। उनके जीवन की कहानी प्रेरणा, दृढ़ संकल्प और अप्रत्याशित घटनाओं से भरी हुई है।

प्रारंभिक जीवन और क्रिकेट करियर:

25 मार्च, 1958 को लुधियाना, पंजाब में जन्मे योजराज एक स्वाभाविक एथलीट थे। बचपन से ही उनमें क्रिकेट के प्रति गहरा जुनून था। एक तेज-मध्यम गेंदबाज के रूप में, उन्होंने अपने कौशल का प्रदर्शन किया और जल्द ही राष्ट्रीय टीम का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने 1981 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना एकमात्र टेस्ट मैच खेला और छह एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

अभिनय सफर:

हालांकि, योजराज का किस्मत का सितारा क्रिकेट के मैदान से परे अभिनय की दुनिया में चमका। सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने अपने जुनून का पालन किया और पंजाबी फिल्म उद्योग में कदम रखा। "जट्ट पंजाब दा" (1992) में उनकी दमदार भूमिका से उन्हें पहचान मिली, और उन्होंने कई अन्य फिल्मों में भी अभिनय किया।

दृढ़ संकल्प और साहस:

योजराज का जीवन हमेशा आसान नहीं रहा है। उन्हें कई चुनौतियों और विवादों का सामना करना पड़ा है। अपने बेटे युवराज सिंह के कैंसर से जूझने और उनके क्रिकेट करियर में उतार-चढ़ाव देखने के बाद, वह मजबूत बने रहे। उन्होंने अपने परिवार का साथ निभाया और कठिनाइयों का सामना करने में उनकी मदद की।

व्यक्तित्व और हास्य:

योजराज सिंह अपने तेज-तर्रार व्यक्तित्व और तीखी बुद्धि के लिए जाने जाते हैं। उनकी हाजिर-जवाबी प्रतिक्रियाएं और चुटीली टिप्पणियां अक्सर सुर्खियां बटोरती हैं। वह एक दिलचस्प वार्ताकार हैं जो अपनी कहानियों और जीवन के प्रति अपने अनूठे दृष्टिकोण को साझा करने का आनंद लेते हैं।

परिवार और विरासत:

योजराज सिंह की शादी सतवीर कौर से हुई है, और उनके तीन बेटे और एक बेटी है। वह अपने बेटे, विश्व कप विजेता क्रिकेटर युवराज सिंह के सबसे बड़े प्रशंसक रहे हैं। योजराज की विरासत उनकी फिल्मों, उनके क्रिकेटिंग कौशल और एक पिता और पति के रूप में उनके दृढ़ संकल्प में जीवित रहेगी।
योजराज सिंह की कहानी प्रतिभा, धैर्य और दृढ़ संकल्प का एक प्रेरक प्रमाण है। उन्होंने जीवन की चुनौतियों का सामना किया है और अपनी ताकत और हास्य भावना के साथ उन पर विजय प्राप्त की है। एक अभिनेता और एक पिता के रूप में, उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।