Yograj Singh: प्रेरणादायक क्रिकेटर से अभिनेता तक की असाधारण यात्रा




किसे पता था कि क्रिकेट के मैदान पर गेंदों का सामना करने वाला एक तेज गेंदबाज बड़े पर्दे पर अपनी छाप छोड़ेगा? ऐसे ही एक असाधारण व्यक्ति हैं योगराज सिंह, जिन्होंने न केवल अपने क्रिकेट कौशल से देश का नाम रोशन किया, बल्कि अभिनय के क्षेत्र में भी अपना परचम लहराया।

क्रिकेट का प्रारंभिक जीवन

चंडीगढ़ में 25 मार्च 1958 को जन्मे योगराज सिंह ने कम उम्र से ही क्रिकेट के प्रति लगाव दिखाया। उनके पिता स्वर्गीय सुरिंदर सिंह भी एक क्रिकेटर थे, जिन्होंने युवा योगराज को खेल की बारीकियाँ सिखाईं। योगराज ने 1976 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया और अपनी तेज गेंदबाजी से जल्द ही सुर्खियाँ बटोरीं।

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर

1981 में, योगराज सिंह ने न्यूजीलैंड के खिलाफ वेलिंगटन में अपना एकमात्र टेस्ट मैच खेला। उन्होंने मैच में एक विकेट लिया और बल्ले से भी योगदान दिया। उन्होंने छह एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच भी खेले, लेकिन चोटों और प्रतिस्पर्धा के कारण उनका अंतर्राष्ट्रीय करियर छोटा रहा।

अभिनय करियर

क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद, योगराज सिंह ने अभिनय की दुनिया में कदम रखा। उन्होंने कई पंजाबी और हिंदी फिल्मों में काम किया, जहाँ अक्सर उन्हें क्रिकेटर की भूमिकाओं में देखा गया। उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्मों में "भाग मिल्खा भाग", "अप्ने घर बेगाने" और "जट्ट पंजाब दा" शामिल हैं।

विवाद और विरासत

योगराज सिंह अपने करियर के दौरान एक विवादास्पद व्यक्ति रहे हैं। उन्होंने अक्सर अपने बेटे युवराज सिंह के कैरियर के बारे में मुखर टिप्पणियाँ की हैं, और क्रिकेट समुदाय के भीतर उनकी राय विवादास्पद रही है। हालाँकि, उनकी क्रिकेट में उपलब्धियों और अभिनय में योगदान के लिए उनकी प्रशंसा की जाती है।

नई पीढ़ी को प्रेरणा

योगराज सिंह की कहानी नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है। यह साबित करती है कि जुनून और दृढ़ता के साथ, कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को साकार कर सकता है, भले ही उनकी शुरुआत कितनी भी विनम्र हो। योगराज सिंह की विरासत उनके क्रिकेटिंग कौशल और मनोरंजन उद्योग में उनके योगदान के रूप में जारी रहेगी।